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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


96. तभी अचानक खिलाने वाला


तभी अचानक खिलाने वाला
एक नौजवान पड़ोस वाला
बुरा भला उन्हें कहने लगा
मुझसे चुप ना रहा गया

गोद में ले पोते को अपने
पास पहुँच लगी मैं कहने

और कोप से बचाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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