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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास


‘‘मैं समझती हूँ।’’ सुन्दरी ने कहा, ‘‘अमृत अपनी निशानी पीछे छोड़ गया है। आज प्रायः महिमा ने खाना उलट दिया है।’’

‘‘परमात्मा करे कि माताजी की अभिलाषा पूरी हो।’’

दिन-पर-दिन व्यतीत होने लगे, परन्तु अमृत का कोई समाचार नहीं आया।

फिर जनवरी मास में ताशकन्द समझौता हुआ तो निश्चय रूप में अमृत के मरने का समाचार प्रसारित कर दिया गया। अमृत को वीर चक्र मिला जो उसकी विधवा पत्नी को राष्ट्रपति भवन में बुला कर दिया गया।

इस समय तक यह निश्चय हो चुका था कि महिमा के गर्भ ठहर गया है।

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