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शक्तिदायी विचार

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :57
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9601

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ये विचार बड़े ही स्फूर्तिदायक, शक्तिशाली तथा यथार्थ मनुष्यत्व के निर्माण के निमित्त अद्वितीय पथप्रदर्शक हैं।


•    मनुष्य को, वह जितना नीचे जाता है जाने दो; एक समय ऐसा अवश्य आएगा, जब वह ऊपर उठने का सहारा पाएगा और अपने आप में विश्वास करना सीखेगा। पर हमारे लिए यही अच्छा है कि हम इसे पहले से ही जान लें। अपने आप में विश्वास करना सीखने के लिए हम इस प्रकार के कटु अनुभव क्यों करें?

•    हम देख सकते हैं कि एक तथा दूसरे मनुष्य के बीच अन्तर होने का कारण उसका अपने आप में विश्वास होना और न होना ही है। होने से सब कुछ हो सकता है। मैंने अपने जीवन में इसका अनुभव किया है, अब भी कर रहा हूँ औऱ जैसे जैसे मैं बड़ा होता-जा रहा हूँ, मेरा विश्वास और भी दृढ़ होता जा रहा है।

•    क्या तुम जानते हो, तुम्हारे भीतर अभी भी कितना तेज, कितनी शक्तियाँ छिपी हुई हैं? क्या कोई वैज्ञानिक भी इन्हें जान सका है? मनुष्य का जन्म हुए लाखों वर्ष हो गये, पर अभी तक उसकी असीम शक्ति का केवल एक अत्यन्त क्षुद्र भाग ही अभिव्यक्त हुआ है। इसलिए तुम्हें यह न कहना चाहिए कि तुम शक्तिहीन हो। तुम क्या जानों कि ऊपर दिखाई देनेवाले पतन की ओट में शक्ति की कितनी सम्भावनाएँ है? जो शक्ति तुममें है, उसके बहुत ही कम भाग को तुम जानते हो। तुम्हारे पीछे अनन्त शक्ति और शान्ति का सागर है।

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