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कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605

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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

प्रकृति का चेहरा

दालान में बैठकर
प्रकृति माता की
खूबसूरती को निहारना,
हरा-भरा छरहरा बदन
इसकी कुर्ती हरियाली
गोरा सुन्दर चीटा चेहरा
केश इसके घटाएं काली
सुन्दरता आंकने में इसकी
आंखें खा जाएं धोखा।

प्रकृति का प्रेम पाने हेतु
मैं हमेशा आतुर रहता
पेड़ झंखाड़ खाईयां
काली सफेद चेहरे पे इसके
थोड़ी घनी झाईयां
देख इसके लाडले पूतों को
उडऩे लगती हैं हवाईयां
पहाड़ों का रास्ता नहीं आसान
लगी है उन पर काईयां
प्रकृति के आंचल में रहकर
प्रेम इसका सब पाईयां।

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