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कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605

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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

राजभाषा

मेरे दामन में तुमने
ढेरों खुशियां डाल दी
मगर जब मैं लगी होने बूढ़ी
तुमने ही मेरी दुनिया उजाड़ दी।

मुझे बनाया तुमने ही राजमाता
देकर इतना बड़ा ये दर्जा
भारत जब स्वतंत्र हुआ
मेरा वजूद पूरे भारत में था।

सभी कार्य मुझमें होते थे
मगर आज फिर जैसे
देश में मिटा मेरा नामोंनिशान।

माना पूर्वी देशों में
आज भी अंग्रेजी ही है।

विदेशों से संबंध बनाने के लिए
अंग्रेजी को ही रखना
मगर मेरा अपने देश में तो
उतना वजूद ही रहने दो
जितना कि सागर में पानी,
जितना कि सीप में मोती
जितना कि तन पे धोती,
जितना कि भूखे को रोटी।

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