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कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605

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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

अपनेपन का एहसास

न जाने क्यों  इस भूमि में
एहसास है अपनेपन का।
कितनी दूर मैं घूम लिया हूं
लगता है सबकुछ अपना सा।

वही है धरती वही हरियाली
वहीं हैं लोग वही खुशहाली
गाते हैं राग-फाग लोग यहां के
आता है जब सावन मस्ताना।

न जाने क्यों  इस भूमि में
एहसास है अपनेपन का।
मां के जैसी मुझे है प्यारी
वसुन्धरा की हरी हरियाली
थकान मिटाता गोद में सर रख
होता हूं जब थका-थका-सा।

न जाने क्यों  इस भूमि में
एहसास है अपनेपन का।

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