लोगों की राय

कविता संग्रह >> यादें

यादें

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9607

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

31 पाठक हैं

बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।



ऊँचा उठाना है


हाथ को हाथ में बांध कर
चैन हमने बनानी है,
देकर गरीबों को सहारा
नीची जाति ऊपर उठानी है ।

सभी को मिले समान अधिकार
सभी को मिले रोटी पानी बार-बार
सबको मिले एक जगह पर सामान
सभी करें बराबर मेहनत
समय की है यही पुकार
ऐसे ही तो बना सकेंगे हम
हँसता खिलता प्यारा हिन्दुस्तान।
हँसता खिलता प्यारा हिन्दुस्तान।
हँसता खिलता प्यारा हिन्दुस्तान।

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book