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कविता संग्रह >> यादें

यादें

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :136
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9607

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बचपन की यादें आती हैं चली जाती हैं पर इस कोरे दिल पर अमिट छाप छोड़ जाती हैं।



श्वेत बगुले


ऊंचे नील गगन में ,
पंक्तियों में श्वेत बगुले।

लगते हैं अति सुंदर
मन को करते हर्षित    
लम्बी गर्दन खुले पंख
लगता विचित्र आकर्षण
संध्याकालिन जब ये उड़ते
ऊंचे नील गगन में,
पंक्तियों में श्वेत बगुले।

मन मेरा लेता उडारी
चढ़ देखूं जब अटारी
मन चंचल बन उड़ता
फै ला अरमानों की झोली
जब-जब देखूं इनको मैं।
ऊंचे नील गगन में,
पंक्तियों में श्वेत बगुले।         

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