लोगों की राय

व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> चमत्कारिक दिव्य संदेश

चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

139 पाठक हैं

सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।


11. शनि के कारण यदि आर्थिक तंगी बन रही हो तो किसी कुएँ में कच्चा दूध डालना चाहिए।
12. यदि कुण्डली के सप्तम् स्थान में शनि बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति को नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए अन्यथा उसका सर्वत्र बुरा ही होगा तथा किसी भी कार्य का वांछित फल प्राप्त नहीं हो सकेगा।
13. किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह से यदि आवश्यक हो तो शनि रत्न नीलम धारण करें अथवा शनिवार के दिन सुबह मलयचन्दन की जड़ लाकर काले धागे से बाँयें हाथ पर बाँध लें।
14. आटे की छोटी गोलियाँ बनाकर नियमित रूप से मछलियों को खिलाएँ।
15. शुक्रवार की रात्रि में किसी स्टील के छोटे बर्तन में सरसों का तेल बर्तन में भरकर उसमें थोडे काले तिल डाल दें तथा शनिवार की सुबह उठकर सर्वप्रथम तेल में अपना प्रतिबिम्ब देखकर तेल को बर्तन सहित दान में दे दें।
16. आवश्यकता पड़ने पर घोडे की नाल की बना हुआ छल्ला विधिपूर्वक बनवाकर धारण करें।
17. किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह से यदि आवश्यक हो तो शनि यन्त्र सदैव अपने पास रखें।
18. शनि की वस्तुओं जैसे लोहा, काले उड़द, काला कपड़ा, चमड़े के काले जूते, काले तिल, सरसों का तेल, कस्तूरी आदि का समय-समय पर दान करते रहें।
19. शनि के विपरीत होने पर यह ध्यान रखें कि कभी किसी विधवा स्त्री का शोषण अथवा नुकसान आपके कारण न हो अन्यथा उसके गम्भीर विपरीत परिणाम भोगने पड़ सकते हैं।

कुण्डली में शनि के विपरीत होने अथवा अन्य रूप से अनिष्टकारक होने की स्थिति में उपरोक्त उपायों से लाभ व मानसिक शान्ति दोनों ही प्राप्त हो सकेंगे, ऐसी पूरी आशा है।

¤ ¤   अंकित जैन

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book