| धर्म एवं दर्शन >> बृहस्पतिवार व्रत कथा बृहस्पतिवार व्रत कथागोपाल शुक्ल
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बृहस्पतिवार के हेतु रखे गये व्रतों की कथा
 
 
बृहस्पतिवार की आरती
 ॐ जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा।
 छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा।। 
 ॐ जय बृहस्पति देवा
 
 तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
 जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।। 
 ॐ जय बृहस्पति देवा
 
 चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
 सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। 
 ॐ जय बृहस्पति देवा
 
 तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
 प्रभू प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। 
 ॐ जय बृहस्पति देवा
 
 दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
 पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।। 
 ॐ जय बृहस्पति देवा
 
 सकल मनोरथ दायक, सब संशय टारी।
 विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।। 
 ॐ जय बृहस्पति देवा
 
 जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
 जेठानन्द आनन्दकर, सो निश्चय फल पावे।। 
 ॐ जय बृहस्पति देवा
 
 
 
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