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जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

जगन्नाथ मिश्रा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :147
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9688

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद की सरल जीवनी

''एक नाटे कद का क्लर्क बाबू था और एक अच्छा तगड़ा मूछें ऊपर चढ़ाए हुए चपरासी था।''

''समझ गया, ठीक है चन्द्रशेखर और भगतसिंह थे। वह किधर गए हैं?''  

''सरकार! वे लोग माल रोड की ओर गए हैं। पर ये लोग हैं कौन? मुझसे तो पच्चीस हजार रुपया सरकारी चन्दे का ले गए हैं।''

''सेठजी! वे तो सरकार के पक्के दुश्मन मशहूर क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद और सरदार भगतसिंह थे।''

''हाय राम। यह क्या हुआ? मैं तो लुट गया। मुनीमजी यह तो बहुत बुरा हुआ।''

''हां! सेठजी, बड़ा बुरा धोखा पाया हम लोगों ने।''

पुलिस इन्सपेक्टर तुरन्त ही सिपाहियों को लेकर कार से पीछा करने के लिए उसी ओर दौड़ा जिधर वे गए थे। किन्तु सांप निकल गया, लकीर पीटने से अब होता ही क्या है?

क्रान्तिकारियों को धन की आवश्यकता रहती ही थी। तरह-तरह की योजनाओं द्वारा अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति वे करते रहते थे। सेठ दिलसुख राय के यहां भगतसिंह गवर्नर के पी० ए० बनकर आए। आज़ाद उनके चपरासी थे। साथ में राजगुरु क्लर्क का अभिनय कर रहे थे।

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