उपन्यास >> पिया की गली पिया की गलीकृष्ण गोपाल आबिद
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भारतीय समाज के परिवार के विभिन्न संस्कारों एवं जीवन में होने वाली घटनाओं का मार्मिक चित्रण
"भाभी।"उसने कान के पास धीरे से कहा "एक बात पूछूं भाभी?"
भवें तानकर उसे देखा।
"मेरे भैया को देखा है तुमने?"
दिखावटी गुस्सा औऱ चितवन।
"देखोगी तो फड़क उठोगी। बहुत सुन्दर है मेरा भइया।"
उसने हाथों से चेहरा छिपा लिया।
उंगलियों में पहनी अँगूठियां झिलमिला उठीं।
नन्द हँसने लगी। जोर-जोर से हँसने लगी और उसे अपने साथ लिपटा लिया। हँसते-हँसते कहने लगी, "तुम भी तो बहुत सुन्दर हो भाभी। भैया तुम्हारे चरण धो-धोकर पियेगा। उसे अपने ऊपर बडा़ घमन्ड है। हमें तो कुछ समझता ही नहीं। तुम उसे ऐसा सीधा करना......ऐसा सीधा करना .......
उसने आँखें न खोलीं।
"अब उठोगी भी या उसे तरसाती रहोगी?"
कलेजा धड-ध़ड करने लगा।
कनपटियाँ सुलगने लगीं।
हल्के से कसमसाई।
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