लोगों की राय

उपन्यास >> पिया की गली

पिया की गली

कृष्ण गोपाल आबिद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9711

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

12 पाठक हैं

भारतीय समाज के परिवार के विभिन्न संस्कारों एवं जीवन में होने वाली घटनाओं का मार्मिक चित्रण


किसी लड़की के लिए वर-खोजना, एक अच्छा लड़का और अच्छा खानदान खोजना, कितना कठिन कार्य है, यह मैं भी जानती हूं।

तुम कितने वर्षों से इसी चिन्ता में अपने आपको घुला रही थीं तुमने इस दिन के लिए कितनी दौड़ धूप की।

जब दुनिया में मेरा भी कोई हो जायेगा और मैं भी किसी घर की बन जाऊंगी। जब मुझ जैसी बदनसीब लड़की का उस घर पर अधिकार होगा और मैं बचपन के तमाम दुखों को भूल कर एक नया जीवन प्रारम्भ करूंगी।

तुमनें मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया?

फिर क्या हुआ है कि जब आज वह दिन आ गया है औऱ तुमने अपने हाथों से मेरा दामन किसी औऱ से बाँध दिया है, अपने आँगन में ब्याह मंडप बनाया है, अग्नि और घी की पवित्र रस्मों से मेरे फेरे किसी अन्य के साथ करवा दिये हैं औऱ मुझे बार-बार शिक्षा दी है कि मैं दृढ़ता से इस नये रिश्ते पर चलूँ तो स्वयं तुम इस तरह घबरा गई हो?

स्वयं इस तरह डर गई हो?

दीदी इस तरह न रोओ। इस तरह अपने आपको दुखी न करो। मुझे मेरी अपनी किस्मत पर छोड़ दो, दीदी। मुझे मेरी तकदीर पर छोड़ दो।

इस तरह अपने-आपको हल्कान न करो। मेरे साथ जो होगा, उसे भाग्य मान लूँगी परन्तु तुम्हें इस तरह दुखी पा कर मैं कुछ भी न कर पाऊंगी। दीदी मैं कुछ भी न कर पाऊंगी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book