लोगों की राय

कविता संग्रह >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

258 पाठक हैं

मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



74

अकेला जंग में था ख़ुद को लश्कर कर लिया मैंने


अकेला जंग में था ख़ुद को लश्कर कर लिया मैंने।
ग़ज़ब था हौसला भी, मोर्चा सर कर लिया मैंने।।

जब आईना था लोगों को बड़ी तकलीफ़ होती थी,
इसी से दिल के आईने को पत्थर कर लिया मैंने।

किसी का क़द घटाने में लगा रहता तो क्या होता,
जो अपना क़द बढ़ाया उस से बेहतर कर लिया मैंने।

ये नासमझी कहो, फ़ितरत कहो, ग़लती कहो दिल की,
न करना था भरोसा जिस पे, अक्सर कर लिया मैंने।

बिछुड़ कर तुझसे दिल ‘राजेन्द्र’ खण्डहर सा अकेला था,
बसा कर तेरी यादों को, उसे घर कर लिया मैंने।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

Abhilash Trivedi

लाजवाब कविताएँ!