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धर्म एवं दर्शन >> श्रीदुर्गाचालीसा

श्रीदुर्गाचालीसा

देवीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :10
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9725

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माँ भवानी की स्तुति


शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे।।21।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी।

जेहि अघ भार मही अकुलानी।।22।।

रूप कराल काली को धारा।

सेन सहित तुम तिहि संहारा।।23।।

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।

भ‌ई सहाय मातु तुम तब तब।।24।।

अमर पुरी औरों सब लोका।

तव महिमा सब रहें असोका।।25।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

तुम्हें सदा पूजें नर नारी।।26।।

प्रेम भक्ति से जो जस गावै।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे।।27।।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन ला‌ई।

जन्म-मरण ताको छुटि जा‌ई।।28।।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।

जोग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।।29।।

शंकर आचारज तप कीन्हो।

काम क्रोध जीति सब लीन्हो।।30।।

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