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			 धर्म एवं दर्शन >> श्रीदुर्गाचालीसा श्रीदुर्गाचालीसादेवीदास
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माँ भवानी की स्तुति
        निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। 
      काहु काल नहिं सुमिरो
        तुमको।।31।।
      
        शक्ति रूप को मरम न पायो। 
      शक्ति गई तब मन
        पछतायो।।32।।
      
        शरणागत हुई कीर्ति बखानी। 
      जय जय जय जगदम्ब
        भवानी।।33।।
      
        भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। 
      दई शक्ति नहिं कीन्ह
        विलम्बा।।34।।
      
        मोको मातु कष्ट अति घेरो। 
      तुम बिन कौन हरै दुःख
        मेरो।।35।।
      
        आशा तृष्ना निपट सतावै। 
      रिपु मूरख मोहि अति
        डरपावै।।36।।
      
        शत्रु नाश कीजै महारानी। 
      सुमिरौं एकचित तुमहि
        भवानी।।37।।
      
        करौ कृपा हे मातु दयाला। 
      ऋद्घि सिद्घि दे करहु
        निहाला।।38।।
      
        जब लगि जियौं दयाफल पाऊँ। 
      तुम्हरो यश मैं सदा
        सुनाऊँ।।39।।
      
        दुर्गा चालीसा जो नित गावै। 
      सब सुख भोग परम पद
        पावै।।40।।
      
        देवीदास सरन निज जानी। 
      करहु कृपा जगदम्ब भवानी।
      
      ।।
        श्रीदुर्गाचालीसा सम्पूर्ण।।
      			
						
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