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धर्म एवं दर्शन >> श्रीहनुमानचालीसा

श्रीहनुमानचालीसा

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :9
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9727

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हनुमान स्तुति


राम दुआरे तुम रखवारे ।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।।21।।

सब सुख लहै तुम्हारी सरना ।

तुम रक्षक काहू को डरना ।।22।।

आपन तेज सम्हारो आपै ।

तीनों लोक हाँक ते काँपै ।।23।।

भूत पिशाच निकट नहिं आवै ।

महाबीर जब नाम सुनावै ।।24।।

नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरन्तर हनुमत बीरा ।।25।।

संकट तें हनुमान छुड़ावै ।

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ।।26।।

सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिनके काज सकल तुम साजा ।।27।।

और मनोरथ जो कोई लावै ।

सोइ अमित जीवन फल पावै ।।28।।

चारों जुग परताप तुम्हारा ।

है परसिद्घ जगत उजियारा ।।29।।

साधु सन्त के तुम रखवारे ।

असुर निकन्दन राम दुलारे ।।30।।

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