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धर्म एवं दर्शन >> श्रीहनुमानचालीसा

श्रीहनुमानचालीसा

गोस्वामी तुलसीदास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :9
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9727

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हनुमान स्तुति


अष्ट सिद्घि नौ निधि के दाता ।
अस वर दीन जानकी माता ।।31।।

राम रसायन तुम्हरे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ।।32।।

तुम्हरे भजन राम को भावै ।

जनम जनम के दुख बिसरावै ।।33।।

अन्तकाल रघुबर पुर जाई ।

जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ।।34।।

और देवता चित्त न धरई ।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ।।35।।

संकट कटै मिटै सब पीरा ।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ।।36।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं ।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ।।37।।

जो शत बार पाठ कर कोई ।

छूटहिं बंदि महासुख होई ।।38।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।

होय सिद्घि साखी गौरीसा ।।39।।

तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

कीजै नाथ हृदय महँ डेरा ।।40।।

।। दोहा ।।

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ।।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ।।

।।इति।।

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