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वीर बालिकाएँ

हनुमानप्रसाद पोद्दार

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :70
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9732

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साहसी बालिकाओँ की प्रेरणात्मक कथाएँ

ताजकुँवरि

कानपुर के पास किसोरा नाम का एक हिंदू राज्य था। उसके राजा का नाम था सज्जन सिंह। उनके एक पुत्र और एक पुत्री थी। राजकुमार का नाम लक्ष्मणसिंह और राजकुमारी का नाम ताजकुँवरि था। राजा सज्जनसिंह ने अपनी पुत्री को भी पुत्र के समान ही घोड़े पर चढ़ने और तलवार, भाला आदि चलाने की शिक्षा दी थी।

उस समय दिल्ली का बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक था। देश में मुसलमानों का जोर था। ये लोग कहीं भी बिना कारण ही हिदुओं पर आक्रमण कर देते थे। एक बार राजकुमार लक्ष्मण सिंह और राजकुमारी ताजकुँवरि घोड़ों पर चढ़कर शिकार खेलने निकले। वन में बारह-चौदह मुसलमान एक झाड़ी में छिपे कुछ सलाह कर रहे थे। जब उन लोगों ने देखा कि एक लड़का और एक लड़की घोड़े पर बैठे जा रहे हैं और उनके साथ सैनिक नहीं हैं, तो वे लोग लाठियाँ लेकर दोनों पर टूट पड़े। लक्ष्मणसिंह और ताजकुँवरि ने भी अपनी तलवारें खींच लीं और वे दोनों उन लोगों का सामना करने लगे। लक्ष्मणसिंह ने थोड़ी देर में पाँच आक्रमण कारियों के सिर काट फेंके। ताजकुँवरि ने उस समय तक तीन को मार दिया था, किंतु वह भाई से पीछे नहीं रहना चाहती थी, उसने बड़ी शीघ्रता से तलवार चलाकर दो शत्रुओं को और मार दिया। दस के मारे जाने पर जो आक्रमणकारी बचे, वे भाग गये। वे भागे हुए पठान दिल्ली पहुँचे। उन लोगों ने कुतुबुद्दीन को जाकर उभाड़ा कि ताजकुँवरि बहुत सुन्दर है। उसे बादशाह अपनी बेगम बना ले। कुतुबुद्दीन ने उन लोगों की बात मान ली। दिल्ली की मुसलमानी सेना ने किसोरा का किला घेर लिया। उस छोटे से राज्य के थोड़े से राजपूत सैनिक किले से बाहर निकले और शत्रुओं पर टूट पड़े।

किले के कँगूरे पर से राजकुमार और राजकुमारी युद्ध देख रहे थे। उन्होंने देखा कि बहुत बड़ी मुसलमानी सेना के सामने राजपूत वीर एक-एक करके मारे जा रहे हैं। किसोरा की सेना घटती चली जा रही है। भाई-बहिन ने सलाह की और वीर-वेष में घोड़े पर चढ़कर तलवारें खींचे युद्ध के लिये चल पड़े। युद्ध में उन दोनों की तलवारें शत्रुओं को मूली की भांति काटने लगीं।

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