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धर्म एवं दर्शन >> काम

काम

रामकिंकर जी महाराज

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :49
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9811

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मानसिक विकार - काम पर महाराज जी के प्रवचन


पर इतना चमत्कारी कामदेव जब शंकरजी के आश्रम में प्रवेश कर, उनके सामने पहुँचा तो शंकरजी के दर्शन मात्र से ही एक अनोखा चमत्कार हुआ --

भयउ जथाथिति सबु संसारू। 1/85/2


सारा संसार पूर्ववत् शान्त हो गया और स्वयं काम भी स्तम्भित हो गया। पर अगले ही क्षण काम चैतन्य होकर सोचने लगा ''अरे! अभी तक तो मैं अपना चमत्कार ही दिखाता रहा, अब अपना काम भी तो पूरा करूँ! और तब वह आम्रवृक्ष के ऊपर जाकर एक डाल पर बैठ गया।

आम का एक नाम 'रसाल' भी है। 'रसाल' मानो 'रस' का प्रतीक है और इसलिए वह काम को प्रिय तो है ही, भगवान् राम के भक्तों को भी बड़ा प्रिय है। 'रस' की अभिलाषा - 'काम' और 'भक्त' दोनों में ही होती है, पर दोनों में एक अंतर है, रामभक्त तो आम के नीचे बैठते हैं किन्तु 'काम' आम के ऊपर बैठता है।

'काम' के पास जो धनुष है वह फूलों से बना हुआ है और उस पर वह फूलों से ही बने बाणों का संधान करता है। कामदेव ने भगवान् शंकर पर एक बाण चलाया और उस बाण के प्रहार का एक आश्चर्यजनक परिणाम हुआ -

भयउ ईस मन छोभ बिसेषी। 1/86/4


भगवान् शंकर के हृदय में क्षोभ का उदय हो गया। पुष्पवाटिका में भगवान् राम के हृदय में क्षोभ और यहाँ पर भगवान् शंकर के हृदय में क्षोभ! काम दोनों ही स्थानों में 'क्षोभ' उत्पन्न कर देता है।

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