लोगों की राय

जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी

रवि कहानी

अमिताभ चौधुरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9841

Like this Hindi book 0

रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी


चार

रवीन्द्रनाथ ने विलायत जाने की पूरी तैयारी कर ली। जहाज में जाने के दौरान वे ''गीतांजलि'', ''गीतिमाला'' आदि कविताएं चुनकर उनका अंग्रेजी में अनुवाद करने लगे। वे पोर्ट सैयद पहुंचे। वहां से फ्रांस के भार्सई बंदरगाह। उसके बाद पेरिस। पेरिस में एक दिन रहकर वे लंदन रवाना हुए। उनके साथ उनके पुत्र रथीन्द्रनाथ और पुत्रवधू प्रतिभा देवी थीं। वे एक होटल में ठहरे। रवीन्द्रनाथ बाईस साल बाद लंदन पहुंचे थे। इस बीच शहर काफी बदल चुका था। उसकी व्यस्तता, गाड़ी-घोड़ों की बढ़ती भीड़ आदि ने रवीन्द्रनाथ को प्रभावित ही किया।

रवीन्द्रनाथ जब इंग्लैंड पहुंचे तब उनके पहले के परिचित काफी बंगाली छात्र वहां पर थे। उनमें सुकुमार राय, कालीमोहन घोष, केदारनाथ चट्टोपाध्याय, अवनीन्द्र मोहन बोस आदि मुख्य थे। इसके अलावा पी. सी. राय, डा. देव प्रसाद सर्वाधिकारी, ब्रजेन्द्रनाथ शील, प्रमथलाल सेन आदि भी वहां थे। रवीन्द्रनाथ होटल छोड़कर हैम्पस्टेड हीथ में एक किराये का मकान लेकर बेटे-बहू समेत वहां रहने लगे। वे पहले से परिचित एक ब्रिटिश कलाकार रोटेनस्टाइन से मिलने गए। वे कुछ समय पहले जोड़ासांको में गगनेन्द्रनाथ तथा अवनीन्द्रनाथ के मेहमान भी रहे थे। रवीन्द्रनाथ अंग्रेजी 'गीतांजलि' की पांडुलिपि पढ़ने के लिए उन्हें दे आए। उन्होंने प्रसिद्ध कवि यीट्स को भी अपनी पांडुलिपि पढ़ने के लिए दी।

थोड़े दिनों में ही इंग्लैंड के कई साहित्यकारों और विद्वानों से उनका परिचय हुआ। 12 जुलाई सन् 1912 को रवीन्द्रनाथ की एक सम्मान सभा में कवि यीट्स सभापति बने। उन्होंने अपना भाषण खत्म करते हुए कहा, ''रवीन्द्रनाथ के लगभग सौ गीतों के गद्य अनुवादों की एक पांडुलिपि मैं हमेशा साथ लिए रहता हूं। अपने समकालीन किसी और लेखक की ऐसी किसी अंग्रेजी रचना के बारे में मैं नहीं जानता, जिसके साथ इन कविताओं की तुलना की जा सके।''

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book