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जीवनी/आत्मकथा >> रवि कहानी

रवि कहानी

अमिताभ चौधुरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2015
पृष्ठ :130
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9841

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रवीन्द्रनाथ टैगोर की जीवनी


सन् 1935 के दिसम्बर में शांतिनिकेतन में परिवार नियोजन आंदोलन की नेता मार्गेट सेंगर आई। उसके पहले वर्धा में रवीन्द्रनाथ की गांधी जी से इस विषय पर लंबी बहस हो चुकी थी। गांधी जी परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों के समर्थक नहीं थे। वे परिवार नियोजन ब्रह्मचर्य और संयम के जरिए करने के हिमायती थे। रवीन्द्रनाथ की राय उसके विपरीत थी। उन्होंने श्रीमती सेंगर के तरीके से ही परिवार नियोजन को उचित माना। उन्होंने बाद में श्रीमती सेंगर को एक लंबी चिट्टी लिखी, जो उनकी पत्रिका ''बर्थ कंट्रोल रिव्यू'' में छपी थी। रवीन्द्रनाथ गांधी जी की तरह धर्मनीति को आंख मूंदकर मानने की बजाय उसकी सच्चाई पर जोर देते थे।

रवीन्द्रनाथ ''चित्रांग'' नृत्य नाटिका की मंडली के साथ उत्तर भारत के सफर पर निकले। वे इसके जरिए विश्वभारती के लिए धन जुटाना चाहते थे। पटना, इलाहाबाद, लाहौर होते हुए दिल्ली पहुंचने पर वहां उनकी भेंट गांधी जी से हुई। काफी देर तक दोनों में विभिन्न विषयों पर बातें हुईं। गांधी जी रवीन्द्रनाथ की गिरती सेहत से चिंतित हुए। गांधी जी ने जानना चाहा कि विश्वभारती को कितने धन की जरूरत है। रवीन्द्रनाथ ने बताया कि वे साठ हजार के घाटे में हैं। गांधी जी ने डी.जी. बिड़ला से वे रूपये दिलवा दिए और रवीन्द्रनाथ को अब ऐसी भाग-दौड़ के लिए मना किया। रवीन्द्रनाथ मेरठ में यह नाटक खेलकर वापस लौट गए।

शांतिनिकेतन में साहित्यकार शरतचंद्र चट्टोपाध्याय, इतिहासकार राधाकुमुद मुखोपाध्याय और राजनीतिक तुलसी गोस्वामी भी आए थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री मैकडोनॉल्ड के सांप्रदायिक आधार पर बंटवारे की नीति के विरोध में वे एक जनसभा कर रहे थे। उस जनसभा में रवीन्द्रनाथ को भाषण देने के लिए वे निवेदन करने आए थे। रवीन्द्रनाथ ने 15 जुलाई 1936 को कलकत्ता के टाउनहाल में भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण में डरे हुए ऊँची जाति के हिंदुओं के हितों की वकालत नहीं की। बंगाल के मुसलमानों की लगातार बढ़ती हुई मांगों के विरोध में भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि अब देश के भले के लिए धर्म तथा संप्रदाय से अलग हटकर सोचना ही उचित होगा।

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