ई-पुस्तकें >> शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिता शिव पुराण भाग-2 - रुद्र संहिताहनुमानप्रसाद पोद्दार
|
0 |
भगवान शिव की महिमा का वर्णन...
इस प्रकार साम्ब शिव का ध्यान करके उनके लिये आसन दे। चतुर्थ्यन्त पद से ही क्रमश: सब कुछ अर्पित करे (यथा- साम्बाय सदाशिवाय नम: आसनं समर्पयामि -इत्यादि )। आसन के पश्चात् भगवान् शंकर को पाद्य और अर्ध्य दे। फिर परमात्मा शम्भु को आचमन कराकर पंचामृत-सम्बन्धी द्रव्यों द्वारा प्रसन्नतापूर्वक शंकर को स्नान कराये। वेदमन्त्रों अथवा समन्त्रक चतुर्थ्यन्त नामपदों का उच्चारण करके भक्तिपूर्वक यथायोग्य समस्त द्रव्य भगवान् को अर्पित करे। अभीष्ट द्रव्य को शंकरके ऊपर चढ़ाये। फिर भगवान् शिव को वारुण-स्नान कराये। स्नान के पश्चात् उनके श्रीअंगों में सुगन्धित चन्दन तथा अन्य द्रव्यों का यत्नपूर्वक लेप करे। फिर सुगन्धित जल से ही उनके ऊपर जलधारा गिराकर अभिषेक करे। वेदमन्त्रों, षडंगों अथवा शिव के ग्यारह नामों द्वारा यथावकाश जलधारा चढ़ाकर वस्त्र से शिवलिंग को अच्छी तरह पोंछे। फिर आचमनार्थ जल दे और वस्त्र समर्पित करे। नाना प्रकार के मन्त्रों द्वारा भगवान् शिव को तिल, जौ, गेहूँ, मूँग और उड़द अर्पित करे। फिर पाँच मुखवाले परमात्मा शिव को पुष्प चढ़ाये। प्रत्येक मुखपर ध्यान के अनुसार यथोचित अभिलाषा करके कमल, शतपत्र, शंखपुष्प, कुशपुष्प, धतूर, मन्दार द्रोणपुष्प ( गूमा ), तुलसीदल तथा बिल्वपत्र चढ़ाकर पराभक्ति के साथ भक्तवत्सल भगवान् शंकर की विशेष पूजा करे। अन्य सब वस्तुओं का अभाव होनेपर शिव को केवल बिल्वपत्र ही अर्पित करे। बिल्वपत्र समर्पित होने से ही शिव की पूजा सफल होती है। तत्पश्चात् सुगन्धित चूर्ण तथा सुवासित उत्तम तैल (इत्र आदि) विविध वस्तुएँ बड़े हर्ष के साथ भगवान् शिव को अर्पित करे। फिर प्रसन्नतापूर्वक गुग्गुल और अगुरु आदि की धूप निवेदन करे। तदनन्तर शंकरजी को घी से बरा हुआ दीपक दे। इसके बाद निम्नांकित मन्त्र से भक्तिपूर्वक पुन: अर्ध्य दे और भावभक्ति से वस्त्र द्वारा उनके मुख का मार्जन करे।
|