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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘ओह! यह है कौन?’’

‘‘एक पाकिस्तानी अफसर की अंग्रेज़ औरत से लड़की है। यह मेरा ‘डोमेस्टिक अफेयर’ है। जैसा मुझे बताया गया है कि अपना हैड क्वार्टर मुझे दिल्ली में रखना पड़ेगा, मैं अपनी पत्नी को वहीं रखूंगा।’’

‘‘ठीक है! कल लन्दन से सन्देश मिला था कि लन्दन टाइम्स के मिस्टर बागड़िया इस नये मिशन पर आ रहे हैं। उनके साथ उनकी नव विवाहिता पत्नी भी है। इनके लिए दिल्ली में रहने का प्रबन्ध कर दिया जाये।’’

‘‘हमने आपके लिए चाणक्यपुरी में एक कोठी का प्रबन्ध किया है। यह है उसका पता। यहां चले जाइये और बाहर एकाउण्टेण्ट से मिल लीजिये। शेष प्रबन्ध वह कर देगा।’’

हाई कमिश्नर ने उठकर तेजकृष्ण से हाथ मिलाया और तेजकृष्ण बाहर आ गया। एकाउन्टेन्ट ने तेजकृष्ण को बताया, ‘‘हमें सूचना मिली है कि आपको एक सौ पौण्ड खर्च के लिए मिला है। वह मैंने आपके नाम लिख दिया है।’’

‘‘मैं लन्दन से एक क्षण के नोटिस पर ही चल पड़ा था। मैं और मेरी ‘वाइफ’ अपने पहनने के कपड़े भी नहीं ला सके। इस कारण उचित कपड़ों के लिए कुछ अधिक धन की आवश्यकता अनुभव हो रही है।’’

एकाउण्टेन्ट ने अपनी मेज का दराज खोला और उसमें से अमेरिका के एक बैंक का ‘ट्रेवलर्ज चैक’ पांच सौ डालर का दे दिया और कहा, ‘‘अभी यह रखिये। यह यहां के स्टेट बैंक से ‘कैश’ करवा सकेंगे।’’

तेजकृष्ण ने एकाउन्टेन्ट से हाथ मिलाया और बाहर टैक्सी में बैठी नज़ीर के पास आ बैठा। नज़ीर ने पूछा, ‘‘बहुत जल्दी छुट्टी मिल गयी है?’’

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