लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


एक क्षण तक ही उसने देखा और फिर रसोई में कॉफी लेने चला गया। नज़ीर ने कहा, ‘‘यह मोहसिन एक समझदार और अनुभवी व्यक्ति प्रतीत होता है।’’

‘‘हां! अब ऐसा करें,’’ तेजकृष्ण ने कह दिया, ‘‘कॉफी लेकर स्नानादि के लिए बाथरूम में जायेंगे और फिर ब्रेक फास्ट लेकर पहले किसी ‘ड्रैपर’ के यहां चलना चाहिए। नित्य पहनने के कपड़े और यात्रा के लिए ‘बैडिंग’ लेना होगा। यहां तो बिस्तर इत्यादि सब सामान है।’’

‘‘मैं तो आपसे एकान्त वास की लालसा कर रही हूं।’’

‘‘वह कॉफी लेने के उपरान्त भी हो सकता है।’’

‘‘मैं यह कार्यक्रम बना रही थी कि शौंपिग के लिए शाम को चलें।’’

‘‘नहीं डीयर! हमें कपड़ों के लिए तुरन्त जाना चाहिए। तब इन पहने हुए कपड़ों को हम ‘ड्राई क्लीनिंग’ के लिए दे सकेंगे। मैं तुरन्त अपने काम पर जाना चाहता हूं। वहां बिना कपड़ों के जा नहीं सकूंगा।’’

‘‘ऐसा क्यों न करे,’’ नज़ीर का सुझाव था, ‘‘हम अभी ये कपड़े ड्राई क्लीनिंग के लिए दे दें। दो-तीन घण्टे में मिल जायेंगे। तब तक हम परस्पर मुलाकात करेंगे।

लंच के समय तक कपड़े आ जायेंगे। तब इनको पहन लंच लेंगे और फिर आप काम पर जा सकेंगे।’’

इस प्रकार जब निश्चय हो गया तो दोनों एक-दूसरे की ओर लालच भरी दृष्टि में देखने लगे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book