उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
|
203 पाठक हैं |
जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘तो ठीक है। पढ़ाई समाप्त कर इसे वहां भेज देना। मैं पाकिस्तान के समाचार सुन वहाँ लौट जाने के लिए अति उत्सुक हूं।’
‘आपका स्वास्थ्य सुधर रहा है, तो आपको सर्वथा स्वस्थ होकर ही यहां से जाना चाहिए।’
‘‘इस समय पाकिस्तान हाई कमिश्नर के कुछ लोग आ पहुंचे। उनके आने पर नज़ीर के पिता ने कहा, ‘इरीन! अब तुम जाओ। कल पता कर लेना कि मैं हस्पताल में हूं अथवा नहीं। यदि हुआ तो मिलने आ जाना। लड़की को साथ लेते आना। मैं इसमें रुचि लेने लगा हूं।’’
‘‘इस पर नज़ीर और उसकी माँ वहां से चले आये। अगले दिन नज़ीर के पिता पाकिस्तान लौट गए थे।’’
|