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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘मैं यहां पर एक काम करने आई हूं।’

‘क्या?’

‘‘मैं पाकिस्तान का इतिहास लिखना चाहती हूं। फिर लन्दन में छपवाऊंगी।’’

‘‘लिख सकोगी?’’

‘मैं इसमें आपकी सरकार से सहायता चाहूंगी।’

‘‘इस पर फादर कुछ देर तक आंखें मूंदे विचार करते रहे। तदनन्तर कहने लगे, ‘यह मिल जायेगी। मिस्टर अज़ीज़ तुम्हारी बहुत सहायता करेंगे।’’

‘इस काम के लिए मुझे रहने के लिए कोई एकान्त स्थान चाहिए।’

‘हां! वह इस गवर्नमेंट हाउस में नहीं हो सकेगा। अच्छा, अभी तो तुम उस स्थान पर रहो जो मैंने निश्चय किया है। रात को मैं खाना तुम्हारे साथ खाऊंगा। उसी समय तुम्हारे निवास स्थान पर भी विचार करूंगा। अब तुम जाकर आराम करो।’

‘‘इस प्रकार पहली भेंट समाप्त हुई।’’

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