लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘इस हादसे के दस वर्ष बाद मैंने अपनी माँ को एक दिन चावड़ी बाजार में किसी दुकान से कुछ खरीदते देखा। मैं बुर्का पहने हुए थी और अकेली जा रही थी। मैं माँ के सामने जा खड़ी हुई। उसने मुझे समीप आ खड़ी होते देखा तो भयभीत मेरी ओर देखने लगी। मैंने बुर्के में से ही कहा, ‘‘माँ? मैं यमुना हूं।’’

‘‘कौन यमुना?’’

‘‘मैंने बुर्का उठाया तो वह मुझे पहचान भयभीत हो बोली, ‘‘इधर गली में आ जाओ।’’

‘‘वह मुझे एक गली में ले गई। बाजार में हिन्दू-मुसलमान सब आ-जा रहे थे। माँ ने पूछा, ‘‘कहां रहती हो?’’

‘‘मैंने बल्लीमाराँ में मुश्ताक साहब के मकान का पता बता दिया। उस समय मुश्ताक दिल्ली के एक बढ़िया होटल में खानसामा का काम करता था। उसे सौ रुपया वेतन और खुराक मिलती थी।’

‘माँ ने छूटते ही कहा, ‘‘तो तुम उसकी बीवी बन गई हो?’’

‘‘और कर ही क्या सकती थी?’’

‘‘मगर हम ब्राह्मण तुमसे क्या सम्बन्ध रख सकते हैं?’’

‘‘पर माँ...!’’

‘माँ ने बात बीच में ही रोक कर कहा, ‘‘अब तुम जाओ। यहां भी हिन्दू मुसलमान झगड़ा हो सकता है।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book