उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘यही हम आपसे आशा करते हैं। इस पर भी वह भविष्य में बहुत लाभकारी हो सकती है।’’
इस समय मोहसिन कॉफी लेकर आ गया।
अजीज अहमद ने कहा, ‘‘मैं कॉफी पी चुका हूं। हां, यदि किसी कोल्ड ड्रिंक का प्रबन्ध हो तो ले लूंगा।’’
मोहसिन बिना मालिक के मुख से एक भी शब्द निकले सलाम कर चला गया। इसका अभिप्राय यह था कि वह कोल्ड ड्रिंक ला रहा है। जब वह चला गया तो अज़ीज ने बताया, ‘‘आपका यह बेयरा पाकिस्तान का रहने वाला है। इसने किसी प्रकार अपने को भारतीय नागरिक लिखा रखा है। यह मुझे पहचान गया है और कहता है कि मुझे इस्लामाबाद में मिला है।
‘‘मुझे तो याद नहीं, परन्तु इसने एक अमेरिकन का नाम बताया है, जो सत्य ही वहां आया था और गवर्नर बहादुर से कई बार मिला भी था।’’
तेजकृष्ण इससे एक पाकिस्तान का बन्धन अपने चारों ओर पाता था। वह मुस्कराता हुआ अजीज साहब के इस रहस्योद्घाटन पर विचार कर रहा था।
तेज ने कहा, ‘‘मैं आज भारत की संसद के कुछ कम्युनिष्ट सदस्यों से मिला हूं। उन्होंने एक बात बतायी है।’’
‘‘क्या?’’
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