उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
अजीज इस समाचार को सुन गम्भीर विचार में निमग्न हो गया। तेजकृष्ण देख रहा था कि उसकी इस सूचना से अजीज साहब को कुछ वह समाचार मिला है जिसकी वह आशा नहीं करते थे।
अजीज ने कहा, ‘‘तेजकृष्ण जी! धन्यवाद है। यद्यपि यह समाचार मेरे लिए सर्वथा नवीन है कि पूर्वी पाकिस्तान पर चीन की दृष्टि है, परन्तु यह ठीक ही समझ में आ रहा है। मगर पाकिस्तान पश्चिमी पंजाब के बदले में पूर्वी पाकिस्तान दे देगा, कहा नहीं जा सकता।’’
इस पर तेजकृष्ण ने यह भी कह दिया, ‘‘मैं समझता हूं कि कम्युनिस्टों की सूचना ठीक हो सकती है, परन्तु चीन का बंगाल की खाड़ी में आ जाना भूमण्डल की कुछ अन्य शक्तियों को रुचिकर नहीं भी हो सकता। इस कारण इस युद्ध में दूसरी शक्तियां भी कूद सकती हैं। तब यह तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है।’’
‘‘और आप इसमें क्या समझते हैं?’’
‘‘मैं तो यह यत्न कर रहा हूं कि असम, नेफा और सम्भव हो सके तो हिमालय पार तिब्बत में जाकर वहां की अवस्था देखूं, तब ही मैं भावी युद्ध के विषय में अपनी सम्मति दे सकता हूं।’’
‘‘इन स्थानों पर बिना परमिट के आप जा नहीं सकेंगे।’’
‘‘असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में घूमने का परमिट मिल जायेगा। एक भारतीय अधिकारी ने दिलवाने का वचन दिया है। तिब्बत में जाने का प्रबन्ध नेपाल में जाकर हो सकेगा।’’
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