उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘मैं समझता हूं!’’ अजीज अहमद का कहना था, ‘‘पाकिस्तान इसमें सहायता कर सकता है।’’
‘‘तो करिये।’’
‘‘परन्तु आप अपनी सूचनाएं हमें भी दें, तब ही मैं इसके लिए यत्न कर सकता हूं।’’
‘‘मैं लिख कर दूंगा नहीं! हां, आप मिलते रहिये और मैं अपनी खोज के परिणाम आपको बताता रहूंगा। इस पर आप अपनी रिपोर्ट बना कर अपनी सरकार को भेज सकेंगे। इस प्रकार मेरा नाम बीच में आये बिना आप मेरे प्रयत्न का फल प्राप्त कर सकेंगे।’’
‘‘ठीक है! पाकिस्तान सरकार से आपको कुछ अर्थ प्राप्ति की भी आशा है क्या?’’
‘‘नहीं! यह केवल नज़ीर के साथ आपके सम्बन्धों के कारण है।’’
‘‘ठीक है! इसी प्रकार ही सही। आप जब लन्दन लौटने लगेंगे। तो हम देखेंगे कि पाकिस्तान आपके लिए, क्या कुछ कर सकता है।’’
‘‘इंगलैंड की पाकिस्तान से अत्यन्त सहानुभूति और मित्रता है। हमारे समाचार-पत्र की नीति भी पाकिस्तान को दुनिया की एक फर्स्ट क्लास स्टेट बनी हुई देखने में है। इस कारण मैं समझता हूं कि मेरे काम में आपका सहयोग आपके लिए भी फलदायक होगा।’’
अजीज अहमद गया तो नज़ीर ने पूछ लिया, ‘‘तो आप अपनी सरकार के ‘सीक्रेट’ इनको बतायेंगे?’’
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