उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘उस रिपोर्ट से तो यह सिद्ध होता है कि सईद अकबर के पास पिस्तौल था और पिस्तौल से बीस गज के अन्तर पर से निशाना नहीं लग सकता था। अवश्य किसी ने नजदीक से गोली मारी थी।
‘‘सईद अकबरखां को कई गोलियां लगी थीं। वे गोलियां बन्दूक की थीं। एक पुलिसमैन के बयान से पता चलता है कि गोलियां मंच के नीचे छुपे किसी व्यक्ति ने चलाई थीं, जो जांच कमेटी के सामने लाया नहीं गया। सईद अकबर को किसने गोलियां मारी, पता नहीं चला। वैसे एक सैनिक अधिकारी ने हवा में कई गोलियां चलाई थीं। उसके चलाने का उद्देश्य भीड़ में भगदड़ मचाना था। किसी की हत्या करना नहीं था।’’
‘‘जांच कमेटी ने तो कहा है कि लियाकत अली साहब के हत्यारे के विषय में यकीन से नहीं कहा जा सकता कि कौन है, मगर यह फैसला भी छुपाकर रखा गया। अधिकारी वर्ग यह नहीं चाहता था कि सईद अकबर के अतिरिक्त किसी अन्य पर सन्देह भी किया जाये।’’
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