लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...

8

‘‘तेजकृष्ण और नज़ीर में भी इस विषय पर वार्तालाप हुआ। तेजकृष्ण ने पूछा, ‘तो तुम्हारा विचार है कि सईद अकबर खां ने लियाकत अली की हत्या नहीं की?’’

‘‘बिल्कुल नहीं।’’

‘‘तो उसे वहां मीटिंग पर किस लिये लाया गया था?’’

‘‘उसे ‘स्केपगोट’ (बलि का बकरा) बनाने के लिये। प्राईम मिनिस्टर पर गोली, मेरा विचार है कि किसी ने मंच पर से चलाई थी। लोगों का ध्यान मंच से हटाने के लिए किसी ने इस बलि के बकरे पर गोली चला दी और भीड़ का ध्यान विखण्डित करने के लिये तथा उसमें आतंक फैलाने के लिये किसी तीसरे व्यक्ति ने गोलियां हवा में चलानी आरम्भ कर दीं।

‘‘परिणाम यह हुआ कि असली हत्यारा बचकर भाग गया। ऐसा विचार किया जाता है कि हत्यारा उनमें से एक था जो प्राईम मिनिस्टर को उठाकर हस्पताल ले गये थे। वहां से भाग जाने का यह सबसे बढ़िया तरीका हो सकता था।

‘‘मैंने उन सब लोगों के नाम देखे हैं जो उस समय मंच पर थे। वे सबके सब ब्रिटेन के पक्षपाती थे।’’

‘‘मगर अमेरिकन गुट के नेता के मारे जाने पर भी तो अंग्रेज़ी गुट का प्रभाव पाकिस्तान पर बढ़ा नहीं।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book