लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘हां! वह इस कारण कि अमेरिका के पास साधन थे कि वह पाकिस्तान की सहायता कर सके। अमेरिका के तत्कालीन उप प्रधान रिचर्ड निक्सन पाकिस्तान में आये और पाकिस्तान को करोड़ों डालर का सैनिक सामान दे गये।

‘‘इस परिस्थिति में लियाकत साहब की मृत्यु पर नाज़िमुद्दीन साहब प्राईम मिनिस्टर बने। लियाकत अली के काल में वह गवर्नर जनरल थे, परन्तु उसके मरने पर वह स्वयं ही प्राईम मिनिस्टर बन गये। गर्वनर जनरल से प्राईम मिनिस्टर के अधिकार अधिक थे। वह अंग्रेज़ी पक्ष का व्यक्ति था। परन्तु अमेरिका की सहायता से नाज़िमुद्दीन ने आंखें बदलीं तो उसे हटाने के लिए अहमदियों के विरुद्ध जेहाद का ऐलान कर दिया गया।

‘‘अहमदयी फिरके के लोग प्रायः अंग्रेज का पक्ष लेते थे और नाज़िमुद्दीन इनको बढ़ावा देता रहता था। नाज़िमुद्दीन को नीचा दिखाने के लिए सहस्त्रों की संख्या में अहमदियों को मार डाला गया तथा घायल किया गया। इनकी जायदादें लूटी गयीं और औरतों का अपहरण किया गया।

‘‘इन बलवों के कारण नाज़िमुद्दीन का पक्ष दुर्बल हो गया और अपनी दुर्बलता को दूर करने के लिये वह बलवाइयों कोद बाने का यत्न करने लगा। इसमें सेना का प्रयोग किया गया। कादियानियों के विरुद्ध आन्दोलन करनेवालों का नेता था मियां मुमताज दौलताना जो पश्चिमी पंजाब का गवर्नर था। उसको पद से त्याग-पत्र देने पर सेना द्वारा विवश किया गया। सेना को बागियों को दबाने के लिए गोली चलाने को कहा गया और आन्दोलन के केन्द्र, लाहौर की वजीर खां की मस्जिद पर सैनिक अधिकार जमा लिया गया और उसके मुतवल्ली मौलाना अब्दुल सत्तार न्याजी को नजरबन्द कर लिया गया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book