लोगों की राय

उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

203 पाठक हैं

जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘एक समय वह भी आया जब हिन्दुओं ने अपनी लड़कियां मुसलमानों को देकर हिन्दू-मुसलमान में सुलह कराने का यत्न किया।’’

‘‘जब अंग्रेज़ ने मुसलमानों को राजनीतिक वरीयता दी तो इस मैत्री के लिए हिन्दुओं ने उस वरीयता को मान लिया।’’

‘‘अब मुसलमानों का पाकिस्तान मिल गया है, परन्तु सुलह तो हुई नहीं। भारत में भी हिन्दू-मुसलमान बलवे होते रहते हैं और पाकिस्तान में भी हिन्दुओं को गालियाँ दी जाती हैं। यह समझना भूल होगी कि पाकिस्तान को पूर्ण अथवा आधा कश्मीर का राज्य दे दिया जाए तो हिन्दू और मुसलमान भाई-भाई हो जायेंगे।’’

‘‘ऐसा होगा नहीं। कारण यह कि अर्थ तथा राजसी प्रभुत्व प्राप्त करना इस्लाम का एक अंग है।

‘‘इनमें तृप्ति तो कभी भी नहीं हो सकेगी। एक बात और बता देना चाहती हूं। जब अन्ध श्रद्धा किसी नाम और कथन से जोड़ दी जाती है तो वह नाम अथवा कथन किसी के मन से निकल नहीं सकते और शान्ति हो नहीं सकती।’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book