उपन्यास >> आशा निराशा आशा निराशागुरुदत्त
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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...
‘‘मगर मैं तो यह खबर आज से दस दिन पहले ही अपने समाचार पत्र में छपवा चुका हूं।’’
‘‘क्या छपवाया है?’’
‘‘यही कि आज़ाद कश्मीर सरकार रावलपिण्डी की मदद से दस हज़ार गोरिल्ला फौजी तैयार कर रही है। उनकी ट्रेनिंग के लिए चीनी सैनिक बुलाए गए हैं। इस तैयारी को देखकर यह कहना गलत नहीं हो सकता है हिन्दुस्तान में इन फौजियों को ‘लिक्विडेट’ करने के लिए साधन और तैयारी नहीं है।’’
‘‘यह खबर पाकिस्तान के बच्चों का दिल बहलाने के लिए फैलायी गयी है। इस पर भी आपकी खबर बिल्कुल गलत नहीं है।
‘‘देखिए, अब जो कुछ मैं बता रही हूँ वह पब्लिक के लिए नहीं है। बात यह है कि कुछ महीने हुए चीन की तरफ से यह पेशकश हुई थी कि वह हमारे मुल्क में दस हजार गोरिल्ला सैनिक तैयार करने के लिए ‘ट्रेनर’ और उनका साज़ो-समान दे सकता है। हमारी सरकार ने इस पेशकश को अफवाह के तौर पर फैलने दिया है। इससे आम रियाया का ‘मौरेल’ ऊँचा हो गया है। वही अफवाह आप वहाँ से सुन आए हैं।
‘‘हकीकत यह है कि इस बात के प्रचार के लिए सिर्फ एक कैम्प मुजफ्फराबाद में खोला गया है जिसमें एक सौ के करीब लोग ट्रेंनिंग पा रहे हैं।’’
‘‘मगर यह भी मुमकिन हो सकता है कि आपकी जानकारी वह हो जो दुनिया को धोखा देने के लिए दी गयी हो और हकीकत वह हो जो मैंने बताई है।
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