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उपन्यास >> आशा निराशा

आशा निराशा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2009
पृष्ठ :236
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7595

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जीवन के दो पहलुओं पर आधारित यह रोचक उपन्यास...


‘‘संस्कृत का है। वह इसी भाषा की ‘स्कॉलर’ है और ‘इण्डोलौजी’ के एक विषय में रिसर्च’ कर रही है।’’

नज़ीर हंस पड़ी। हंसते हुए बोली, ‘मत करिए शादी।’’

‘‘क्यों?’’

‘‘इससे अच्छी लड़की आपको मिल सकती है।’’

तेजकृष्ण समझ रहा था कि किस लड़की के विषय में कहा जा रहा है। इस पर भी उसने पूछने के लिए ही पूछ लिया, ‘‘और वह कहाँ है?’’

नज़ीर ने अब लज्जा का भाव प्रकट करते हुए कहा, ‘‘तो आप समझ नहीं रहे?’’

अनुमान तो हो रहा है, मगर यकीन नहीं हो रहा।’’

‘‘कैसे यकीन करना चाहते हैं?’’

‘‘ऐसे ही आपकी जबान से तस्लीम कराना चाहता था जैसे आप अब कर रही हैं।’’

‘‘तो हो गया है यकीन?’’

‘‘हां।’’

‘‘तो आइए। हम अपना प्रोगाम बनायें।’’

‘‘कैसे बनायें?’’

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