उपन्यास >> बनवासी बनवासीगुरुदत्त
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नई शैली और सर्वथा अछूता नया कथानक, रोमांच तथा रोमांस से भरपूर प्रेम-प्रसंग पर आधारित...
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शिलांग के सम्मेलन के समाप्त होने के पूर्व बिन्दू ने घोषणा कर दी कि उसके रजोदर्शन नहीं हुआ। स्टीवनसन ने कहा, ‘‘तो, तुम तो माँ बनने वाली हो?’’
‘‘इसमें विचित्र बात तो कुछ नहीं।’’
‘‘मैं सोचता हूँ कि इस बच्चे का बाप मैं हूँगा अथवा बड़ौज।’’
‘‘आप। मुझे यही विश्वास है।’’
‘‘देखें।’’
‘‘मैंने देखा है, पिछले रजोदर्शन के बाद बड़ौज मुझे छू नहीं पाया।’’
‘‘तब ठीक है।’’
इस सूचना पर स्टीवनसन विचार करने लगा था कि यह बच्चा कहाँ पर होगा। सम्मेलन समाप्त होने तक उसने निश्चय कर लिया था कि वह अपना निवास-स्थान कहाँ बनाएगा। यूरोप में वह जाना नहीं चाहता था। उसको भय था कि कोई धनी-मानी उसकी पत्नी को बरगलाकर उससे पृथक् कर देगा। हिन्दुस्तान में किसी पहाड़ी स्थान पर रहने पर उसके अंग्रेज़ होने से वे लोग इससे भयभीत रहेंगे। यहाँ सरकार भी उसकी रक्षा करेगी। इस पर भी इस गर्भावस्था में वह बिन्दू को निर्भय रखने के लिए वहाँ से किसी दूर स्थान पर ले जाना चाहता था।
उसने निश्चय कर लिया कि वह पंजाब में कुल्लू की घाटी में अपना मकान बनाकर सुख से जीवन व्यतीत करेगा और बिन्दू ने कुछ लड़के-लड़कियाँ पैदा कर दीं, तो वह आनन्द से उसकी शिक्षा-दीक्षा में जीवन व्यतीत कर देगा।
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