लोगों की राय

उपन्यास >> पाणिग्रहण

पाणिग्रहण

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :651
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 8566

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

410 पाठक हैं

संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव


उर्मिला आई और प्रणाम कर सामने बैठ गयी। शिवदत्त ने बहुत ही संयत भाषा में पूछा, ‘‘उर्मिला बेटी! यह इन्द्र को रुपये तुमने भेजे हैं?’’

‘‘हाँ पिताजी!’’

‘‘क्यों?’’

‘‘ऐसा प्रतीत होने लगा है कि आपका खर्चा बहुत बढ़ गया है और आप कई उचित खर्चे भी दे नहीं सकते। मैंने सोचा कि इसमें मैं आपका हाथ बटा दूँ।’’

‘‘तो इसको तुम उचित खर्चा मानती हो?’’

‘‘हाँ पिताजी!’’

‘‘ये रुपये देकर तुमने एक बहुत भारी गलती की है। वह मेडिकल कॉलेज में दाखिल हो गया। इस कॉलेज में उसका खर्चा बढ़ता ही जायेगा। अन्त में वह इतना खर्चा न कर सकने पर कॉलेज छोड़ने पर विवश हो जायेगा। तब वह न इधर का रहेगा न ही उधर का। उसका जीवन बरबाद हो जायेगा। इसकी जिम्मेदारी तुम पर होगी, जिसने उसको दाखिल होने में सहायता दी है।’’

‘‘पिताजी! मेरी अन्तरात्मा कहती है कि इन्द्र एक अति योग्य विद्यार्थी है। उसको उचित शिक्षा मिलने का अवसर मिलना चाहिए। मैंने इसमें उसकी सहायता की है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book