उपन्यास >> पाणिग्रहण पाणिग्रहणगुरुदत्त
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संस्कारों से सनातन धर्मानुयायी और शिक्षा-दीक्षा तथा संगत का प्रभाव
‘‘कल तो हम जा रहे हैं। अगली बार यहाँ आई तो मिलने का यत्न करूँगी।’’
‘‘हाँ; हमारी कोठी में आ सकती हो। किसी रविवार के दिन चाय के समय आओ तो ठीक रहेगा।’’
‘‘आपके पिताजी की कोठी में न?’’
‘‘हाँ।’’
‘‘वहाँ अपने हसबैंड के साथ ही आ सकूँगी।’’
‘‘उनका परिचय मैं अपने पिताजी से करा दूँगी।’’
‘‘तब ठीक है। वहाँ टेलीफोन लगा है न?’’
‘‘हाँ।’’
‘‘मैं पहले फोन कर लूँगी।’’
जब रहमत मोटर में आयी तो अनवर हुसैन ने पूछ लिया, ‘‘यह कौन थी?’’
‘‘रायबहादुर रमेशचन्द्र सिन्हा, एडवोकेट की लड़की है। मेरी सहपाठिन रही है। आजकल मेडिकल कॉलेज में पढ़ती है।’’
‘‘अच्छी खूबसूरत लड़की है।’’
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