लोगों की राय

उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

88 पाठक हैं

इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


‘‘रूपरेखा तो, जब वह आयेगी तब देख लीजियेगा। हां, बुद्धि और विचारों की बात मैं बता सकती हूं। इस समय वह बी. ए. की तृतीय श्रेणी में पढ़ रही है। इस वर्ष परीक्षा में बैठेगी। हायर सेकण्डरी में वह दिल्ली में प्रथम रही थी। बी.ए. में उसने एक प्रश्नपत्र विषय गृहस्थ-विज्ञान का लिया हुआ है। खाना बहुत स्वादिष्ट बनाती है और अनेक प्रकार के व्यंजन बना सकती है। कम-से-कम अपने तथा बच्चों के कपड़े भी बहुत ही अच्छे सी लेती है। गाना भी गाती है, सिनेमा के अनेक गाने उसको आते हैं। अंग्रजी तो वह धारा प्रवाह बोलती है।

‘अब विचारों की बात सुनिये। वह प्रगतिशील विचारों की लड़की है। इतना तो आप भी, उसके आपको निमन्त्रण देने से समझ गये होंगे। मनुष्य सामाजिक प्राणी है, इस तथ्य को वह भली-भांति समझती है। पण्डित नेहरू की वह भक्तिनी है। उनको वह संसार का महान नेता मानती है। वह समझती है कि पण्डित जी ने भारत का मुख उज्जवल किया हुआ है। उनके कारण ही संसार के अन्य बीसियों देश हमारे पंचशील के सिद्धान्त का अनुकरण कर रहे हैं। हमारे परिवार के सभी व्यक्ति इस बात को मानते हैं और परिवार में महेश्वरी सबसे उग्र विचारों की है।’’

महेश्वरी के विचारों के विषय में ज्ञान प्राप्त कर, मदन को प्रसन्नता ही हुई। उसकी बुद्धि का विकास और अध्ययन में योग्यता की बात जानकर भी वह सन्तुष्ट ही था। किन्तु उसकी रूपरेखा के विषय में वह संशयात्मा था। वह देख रहा था कि जो स्वयं को महेश्वरी की बहिन बता रही है वह तो अति कुरूप है। कम-से-कम जिस सौन्दर्य का चित्र अपने मन में लेकर वह महेश्वरी को देखने के लिए आया था, वह यह नहीं था।

पांच बजे का समय हो गया था किन्तु महेश्वरी की बहिन उससे बातें करती जा रही थी। उसने अपने परिवार का वृत्तान्त भी मदन को सुना दिया था। वह अभी बातें कर ही रही थी कि टेलीफोन की घंटी बजी और वह लड़की उठकर फोन सुनने लगी। कोई बात कर रहा था और लड़की ‘‘हां, हां’’ करके उत्तर दे रही थी। अन्त में उसने कहा, ‘‘अच्छा।’’ और फोन रख दिया।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book