लोगों की राय

उपन्यास >> प्रगतिशील

प्रगतिशील

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 8573

Like this Hindi book 3 पाठकों को प्रिय

88 पाठक हैं

इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।


‘‘परन्तु उससे पूर्व तो आपकी मांसपेशियों की परीक्षा करनी है। मैं चाहता हूं कि मेरी पत्नी इतनी सुदृढ़ हो कि मेरे जीवन के अन्त तक मेरा साथ दे सके।’’

‘‘यह परीक्षा तो मुझे स्पर्श किये बिना भी हो सकती है।’’

‘‘किस प्रकार?’’

‘‘कल आप हमारे कॉलेज में आ जाइये। मैं टैनिस का मैच खेल रही हूं। वहां पर आपको मेरे शरीर की दृढ़ता का ज्ञान हो जायेगा।’’

‘‘मुकाबले पर कौन है?’’

‘‘हिन्दू कॉलेज का एक विद्यार्थी है।’’

‘‘तो आप लड़के के साथ मैच खेलेंगी?’’

‘‘क्यों आपको इसमें कोई आपत्ति है?’’

‘‘मैं तो अभी आपत्ति करने की स्थिति में हूं ही नहीं।

‘‘कब होगें इस स्थिति में आप?’’

‘‘जब हमारा विवाह हो जायेगा?’’

‘‘तब तो ठीक है। कल आप आ जाइये।’’

‘‘कौन घुसने देगा मुझे वहां?’’

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book