उपन्यास >> प्रगतिशील प्रगतिशीलगुरुदत्त
|
88 पाठक हैं |
इस लघु उपन्यास में आचार-संहिता पर प्रगतिशीलता के आघात की ही झलक है।
4
मदन और मिस साहनी लंच समाप्त कर डॉक्टर साहनी के घर पहुंचे, डॉक्टर साहनी लंच लेने के उपरान्त विश्राम कर रहा था। इस कारण दोनों को उसकी प्रतीक्षा करनी पड़ी। समय व्यतीत करने के लिए मिस साहनी मदन को अपने कमरे में ले गई। यह कमरा होटल वाले कमरे से बड़ा था और सुख-सुविधा की सभी साग्रगी वहां पर विद्यमान थी। एक दीवार के साथ पलग लगा था और उस पर दुग्ध-धवल चादर और नीचे रबड़ फोम का गद्दा बिछा था। मिस साहनी मदन को एक कुर्सी पर बैठा, स्वयं पलंग पर बैठ गई। कमरे के चारों ओर देखते हुए मदन ने कहा, ‘‘बहुत सुन्दर कमरा है। इससे इसको सजाने वाली की सुघड़ता का परिचय झलकता है।’’
‘‘आइये मैं आपको अपने पापा और मम्मी का चित्र दिखाती हूं।’’
यह कहकर उसने अपनी ड्रैसिंग टेबिल के शेल्फ में से एक एलबम निकाल ली और मदन को अपने समीप पलंग पर बैठा, चित्र दिखाने लगी।
एलबम के प्रथम पृष्ठों पर डॉक्टर साहनी और मिसेज साहनी के चित्र थे। दोनों प्रौढ़ावस्था के व्यक्ति प्रतीत होते थे। उसने चित्र दिखाते हुए कहा, ‘‘आजकल पापा की आय प्रतिमास दस हजार डालर के लगभग है। मिस्टर पाल के फार्म के साथ ही चालीस हजार डालर का एक फार्म पापा ने मोल लिया है।
‘‘ये मेरी मम्मी हैं। उसने एक पृष्ठ उलटकर दिखाया। तदनन्तरवह अपने चित्र दिखाने लगी। अमेरिका आने के उपरान्त उसके प्रतिवर्ष जन्मदिवस के अवसर पर लिये गये चित्रों का उसमें संग्रह था।
मदन उसका, दस वर्ष की आयु का चित्र देख रहा था कि साथ वाले कमरे में कुछ आहट हुई। मिस साहनी बोली, ‘‘पापा जाग गये हैं। आप बैठिये। मैं उनको आपके आने का सूचना दे आऊं।’’
|