नाटक-एकाँकी >> संग्राम (नाटक) संग्राम (नाटक)प्रेमचन्द
|
269 पाठक हैं |
मुंशी प्रेमचन्द्र द्वारा आज की सामाजिक कुरीतियों पर एक करारी चोट
सबल– शौक से लीजिए।
सुपरिंटेंडेट– हम तुम्हारा रियासत छीन लेगा। हम तुमको रियासत दिया है, तब तुम इतना बड़ा आदमी बना है और मोटर में घूमता है। तुम हमारा बनाया हुआ है। हम तुमको अपने काम के लिए रियासत दिया है और तुम सरकार से दुश्मनी करता है। तुम दोस्त बन कर तलवार मारना चाहता है। दगाबाज है। हमारे साथ पोलो खेलता है, क्लब में बैठता है, दावत खाता है और हमीं से दुश्मनी रखता है। यह रियासत तुमको किसने दिया?
सबल– सरोष हो कर मुगल बादशाहों ने। हमारे खानदान में पच्चीस पुश्तों से यह रियासत चली आती है।
सुपरिंटेंडेट– झूठ बोलता है। मुगल लोग जिसको चाहता था जागीर देता था, जिसे नाराज हो जाता था उससे जागीर छीन लेता था। जागीरदार मौरूसी नहीं होता था। तुम्हारा बुजुर्ग लोग मुगल बादशाहों से ऐसा बदखाही करता जैसा तुम हमारे साथ कर रहा है तो जागीर छिन गया होता। हम तुमको असामियों से लगान वसूल करने के लिए कमीसन देता है और तुम हमारा जड़ खोदना चाहता है। गांव में पंचायत बनाता है, लोगों को ताड़ी-शराब पीने से रोकता है, हमारा रसद बेगार बंद करता है। हमारा गुलाम होकर हमको आंखें दिखाता है। जिस बर्तन में पानी पीता है उसी में छेद करता है। सरकार चाहे तो एक घड़ी में तुमको मिट्टी में मिला दे सकता है। (दोनों हाथ से चुटकी बजाता है।)
सबल– आप जो काम करने आये हैं वह काम कीजिए और अपनी राह लीजिए। मैं आपसे सिविक्स और पालिटिक्स के लेक्चर नहीं सुनना चाहता।
सुपरि०– हम न रहें तो तुम एक दिन भी अपनी रियासत पर काबू नहीं पा सकता।
सबल– मैं आपसे डिसकशन (बहस) नहीं करना चाहता, पर यह समझ रखिए कि अगर मान लिया जाय, सरकार ने ही हमको बनाया तो उसने अपनी रक्षा और स्वार्थ-सिद्धि के ही लिए यह पालिसी कायम की। जमींदारों की बदौलत सरकार का राज कायम है। जब-जब सरकार पर कोई संकट पड़ा है जमींदारों ने ही उसकी मदद की है। अगर आपका ख्याल है कि जमींदारों को मिटा कर आप राज्य कर सकते हैं तो भूल है आपकी हस्ती जमींदारों पर निर्भर है।
सुपरिटेंडेंट– हमने अभी किसानों के हमले से तुमको बचाया, नहीं तो तुम्हारा निशान भी न रहता।
सबल– मैं आपसे वहस नहीं करना चाहता।
सुपरिटेंडेंट– हम तुमसे चाहता है कि जब रैयत के दिन में बदखाही पैदा हो तो हमारा मदद करे। सरकार से पहले वही लोग बदखाही करेगा जिसके पास कुछ जायदाद नहीं है, जिसका सरकार से कोई कनेकशन (संबंध) नहीं है। हम ऐसे आदमियों का तोड़ करने के लिए ऐसे लोगों को मजबूत करना चाहता है जो जायदादवाला है और जिसका हस्ती सरकार पर है। हम तुमसे रैयत को दबाने का काम लेना चाहता है।
|