उपन्यास >> सेवासदन (उपन्यास) सेवासदन (उपन्यास)प्रेमचन्द
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यह उपन्यास घनघोर दानवता के बीच कहीं मानवता का अनुसंधान करता है
सैयद शफयतअली (पें. डिप्टी कले.) ने कहा– इस तजवीज से मुझे पूरा इत्तिफाक है, लेकिन बगैर मुनासिब तरमीम के मैं इसे तसलीम नहीं कर सकता। मेरी राय है कि रिज्योल्यूशन के पहले हिस्से में यह अल्फाज बढ़ा दिए जाएं– बइस्तसनाय उनके, जो नौ माह के अंदर या तो अपना निकाह कर लें या कोई हुनर सीख लें, जिससे वह जाएज तरीके से जिंदगी बसर कर सकें।
कुंवर अनिरुद्धसिंह बोले– मुझे इस तरमीम से पूरी सहानुभूति है। हमें वेश्याओं को पतित समझने का कोई अधिकार नहीं है, यह हमारी परम धृष्टता है। हम रात-दिन जो रिश्वतें लेते हैं, सूद खाते हैं, दीनों का रक्त चूसते हैं, असहायों का गला काटते हैं, कदापि इस योग्य नहीं हैं कि समाज के किसी अंग को नीच या तुच्छ समझें। सबसे नीच हम हैं, सबसे पापी, दुराचारी, अन्यायी हम हैं, जो अपने को शिक्षित, सभ्य, उदार, सच्चा समझते हैं! हमारे शिक्षित भाइयों ही की बदौलत दालमंडी आबाद है, चौक में चहल-पहल है, चकलों में रौनक है। यह मीना बाजार हम लोगों ही ने सजाया है, ये चिड़ियां हम लोगों ने ही फांसी है, ये कठपुतलियां हमने बनाई हैं। जिस समाज में अत्याचारी जमींदार, रिश्वती राज्य-कर्मचारी, अन्यायी महाजन, स्वार्थी बंधु आदर और सम्मान के पात्र हों, वहां दालमंडी क्यों न आबाद हो। हराम का धन हरामकारी और कहां जा सकता है? जिस दिन नजराना, रिश्वत और सूद-दर-सूद का अंत होगा, उसी दिन दालमंडी उजड़ जाएगी, वे चिड़ियां उड़ जाएंगी– पहले नहीं। मुख्य प्रस्ताव इस तरमीम के बिना नश्तर का वह घाव है, जिस पर मरहम नहीं। मैं उसे स्वीकार नहीं कर सकता।
प्रभाकर राव ने कहा– मेरी समझ में नहीं आता कि इस तरमीम का रिज्योल्यूशन से क्या संबंध हैं? इसको आप अलग दूसरे प्रस्ताव के रूप में पेश कर सकते हैं। सुधार के लिए आप जो कुछ कर सकें, वह सर्वथा प्रशंसनीय है, लेकिन यह काम बस्ती से हटाकर भी उतना ही आसान है, जितना शहर के भीतर, बल्कि वहां सुविधा अधिक हो जाएगी।
अबुलवफा ने कहा– मुझे इस तरमीम से पूरा इत्तफाक है।
अब्दुललतीफ बोले– बिना तरमीम के मैं रिज्योल्यूशन को कभी कबूल नहीं कर सकता।
दीनानाथ तिवारी ने भी तरमीम पर जोर दिया है।
पद्मसिंह बोले– इस प्रस्ताव से हमारा उद्देश्य वेश्याओं को कष्ट देना नहीं, वरन उन्हें सुमार्ग पर लाना है, इसलिए मुझे इस तरमीम के स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं हैं।
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