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अंतस का संगीत

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :113
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9545

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मंच पर धूम मचाने के लिए प्रसिद्ध कवि की सहज मन को छू लेने वाली कविताएँ


सावन तो आया मगर, साजन अब भी दूर।
रोटी-रोजी ने किया, आने से मजबूर।।71

तुम तो घर आये नहीं, क्यों आई बरसात।
बादल बरसे दो घड़ी, आँखें सारी रात।।72

जाग-जाग कर रात भर, दीप हो गये मौन।
चाँद-सितारे खो गये, अब आयेगा कौन।।73

रस्ता तेरा देखते, रहा न तन का चेत।
सितकेशी काया हुई, आँखें बंजर खेत।।74

सूखी नदियाँ, पोखरे, बंजर सारे खेत।
आसमान से आजकल, बरस रही है रेत।।75

बादल भी करने लगे, उलटी-सीधी बात।
खेत झुलसते धूप में, बस्ती में बरसात।।76

छूट गया फुटपाथ भी, उस पर है बरसात।
घर का मुखिया सोचता, कहाँ बितायें रात।।77
सावन में सूखा पड़ा, फागुन में बरसात।
मौसम भी करने लगा, बेमौसम की बात।।78

छाये बादल देखकर, खुश तो हुये किसान।
लेकिन बरसे इस कदर, डूबे खेत मकान।।79

जहर उगलती गैस ने, सुखा दिये हैं ताल।
फिर भी अपने गाँव को, कहते हो भोपाल।।80

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