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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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६१

वो सुनहरे दिन हमें रातें सुहानी दे गया


वो सुनहरे दिन हमें रातें सुहानी दे गया
चाँद-तारे और सूरज सब ज़बानी दे गया

छीन कर सपने मेरी आँखों में पानी दे गया
वो भी प्यासा था जो दरिया को रवानी दे गया

अबके बादल मेरे आँगन में करिश्मा कर गया
साँवली सूरत में आया रंग धानी दे गया

जाते-जाते उसने दिल पर ढाई आखर लिख दिये
यानी जो पूरी न होगी वो कहानी दे गया

सर से जब ओढ़ी तो मेरे पैर बाहर हो गये
वक़्त मुझको फिर वही चादर पुरानी दे गया

प्यार लेकर आपसे, कुछ गीत देकर ‘क़म्बरी’
एक निशानी ले गया और एक निशानी दे गया

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