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कह देना

अंसार कम्बरी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :165
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9580

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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें


६४

एक तरफ़ा वहाँ फ़ैसला हो गया


एक तरफ़ा वहाँ फ़ैसला हो गया
मैं बुरा हो गया, वो भला हो गया

पूजते ही रहे हम जिसे उम्र भर
आज उसको भी हमसे गिला हो गया

जिस तरफ़ देखिये प्यास ही प्यास है
क्या हमारा शहर कर्बला हो गया

चाँद मेरी पहुँच से बहुत दूर था
आपसे भी वही फ़ासला हो गया

एक साया मेरे साथ था ‘क़म्बरी’
यूँ लगा जैसे मैं क़ाफ़ला हो गया

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