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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


14. अब जब पाँचवी पास करी तब


अब जब पाँचवी पास करी तब
अव्वल नम्बर लेकर आई
मात-पिता को दिखाये नम्बर
पिता की आँखे डब-डबाई

लगा लिया मुझको सीने से
आँसू बहने लगे आँखों से

ये देख उनके आँसू पांछती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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