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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


15. यह देख फिर माँ मेरी


यह देख फिर माँ मेरी
खुद भी आँसू बहाने लगी
पिता से छुड़ा अपनी बाँहो में
ले छाती से लगाने लगी

भिगो दिया मेरे सिर को
प्यार दिया इतना मुझको

मैं माँ को लिपटाने लगी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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